आपसे गुफ्तगू ज़रूरी है
आपसे गुफ्तगू जरूरी है।
आपकी जुस्तजू जरुरी है
हालत इश्क में है ऐसी
तेरा होना चार सू जरूरी है
आंख को कोई जंचता नहीं
तेरे जैसा हू ब हू जरूरी है।
क़ाफिया ग़ज़ल में नहीं काफ़ी
जिगर का भी लहू जरुरी है।
इतना बेवफा कैसे हो रहे हो
इश्क़ की आबरू जरूरी है।
धड़कना भूल रहा है ये दिल
देख तेरी आरज़ू जरूरी है।
सुरिंदर कौर