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2 Dec 2018 · 1 min read

आपको तो बस बहाना चाहिए

इन निगाहों को बहाना चाहिए।
आँसुओं को अब ठिकाना चाहिए।

रोकने से भी न जो ठहरे कहीं
बात पर खुद को मिटाना चाहिए।

वो इक गुलशन खिल चमका था यहाँ
आज फिर वो ही जमाना चाहिए।

चाह मेरी ही न अब तो आपको
आपको तो बस बहाना चाहिए।

आज फिर से वो रग दरद कर गई
जिस पर मरहम ही लगाना चाहिए।

रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
©

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