आपको तो बस बहाना चाहिए
इन निगाहों को बहाना चाहिए।
आँसुओं को अब ठिकाना चाहिए।
रोकने से भी न जो ठहरे कहीं
बात पर खुद को मिटाना चाहिए।
वो इक गुलशन खिल चमका था यहाँ
आज फिर वो ही जमाना चाहिए।
चाह मेरी ही न अब तो आपको
आपको तो बस बहाना चाहिए।
आज फिर से वो रग दरद कर गई
जिस पर मरहम ही लगाना चाहिए।
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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