आपकी कशिश
आपकी कशिश कुछ तो होगी
उसे जो हम कभी भुला न पाए
एक उसका प्यार ही निराला था
जब भी हम पास ए सब कुछ भूल ही गए ।
भूल गए ज़माने के ताने,
भूल गए उसके दूर जाने के बहाने ।
मुझे वो पल आज भी याद है
उसका पास आ कर कहना ,,,,,,,,,,,,,,
” चल कही दूर चलते है ”
और कहते कहते सच में दूर चले जाना ।
आज भी वो लम्हे , हर पल याद आते हैं
उसका मुस्कुराना और मुझे कुछ भी कह कर चिढ़ाना ।
मेरे गुस्से पर मुझे मनाना और न मानने पर गले लगाना ।
हर पल मुझे याद करके ” फ़ोन ” घूमना और घूमने का ” प्लान ” बनाना ।
याद है वो लम्हे जो चुपके से पार्टी करना
और साथ मिलकर खाना बनाना ।
हम दोनों में कुछ तो खामियां रही होगी जो
हम एक-दूसरे पर भरोसा करते गए और वो तोड़ते गए ।
न जाने कौन सा मोड़ आया कि वो दूर होते गए
और हम भी पीछे हटते गए ।
आज न वो साथ न वापिस आने की उम्मीद ।
बस एक मैं और उसकी याद , बस एक मैं और उसकी याद ।