आन-बान-शान हमारी हिंदी भाषा
आन-बान-शान हमारी हिंदी भाषा
प्राचीन ब्राह्मी लिपि ,
हिंदी लिपि देवनागरी की जननी ,
वैश्विक मंच पर परचम लहराया ।
दुनिया की दूसरी,
सबसे ज्यादा बोली जानी वाली भाषा,
वैश्विक मंच पर हिंदी की समृद्धि
का एहसास कराया ।।1।।
संस्कृत से पाली, फिर प्राकृत, अपभ्रंश
व अवहट्ट से विकसित होकर,
आज की हिंदी भाषा बनी ।
गुरु गोरखनाथ , कवि विद्यापति , भारतेन्दु , हरिचन्द्र
एवं भाषाप्रेमियों ने पूर्ण विकास में महत्वपूर्ण दानी ।।2।।
14 सितंबर 1949 , संविधान के अनुच्छेद 343,
भारत की राजभाषा बन गयी ।
चंहुओर प्रगति कर , देश के उन्नति में सहायक ,
जनता की आवाज बन गयी ।।3।।
हिंदी भाषा को मुख्य धारा में लाना ,
गलत नितियों को ठोकर मारना
ना अवहेलना , ना अपमान सहन करना ,
अब भाषाई तकनीकों से आसान करना ।।4।।
अग्रेंजी को महत्व दो ,
उससे ज्यादा से ज्यादा हिंदी को दो ।
सजग रहकर , प्रहरी बनकर ,
ठोस कदम उठाकर राष्ट्र भाषा
बना दो ।।5।।
संपूर्ण हिंदी लेखक, कवि , साहित्यकार,
संस्थान , हिंदी सिनेमा व मीडिया को हिंदी से पहचान ।
मान-सम्मान व जीविका मिली ,
अब तो निष्ठा से कार्य कर ,
आपसी वैमनस्य भूलकर ,
देना हैं हिंदी को पहचान ।।6।।
फेसबुक, ब्लांगिग , वाट्सएप व
टि्वटर हमारे सहायक ।
गूगल , याहू , ओरेकल , आई बी एम व अन्य , हिंदी प्रयोग को सहायक ।।7।।
परिवर्तन को स्वीकार कर,
अभिव्यक्ति में सहज और सुलभ कर,
प्रगति में निरंतरता रखना ।
आन-बान-शान हमारी हिंदी भाषा ,
प्रोधोगिकी का विकास कर ,
हिंदी विश्व व्यापी भाषा बनाये
रखना ।।8।।
जय – जय हिंदी
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– राजू गजभिये