आने वाला आएगा ही
आने वाला आएगा ही, जाने वाला जाएगा।
कोई रोक न सका किसी को, कोई रोक न पाएगा।।
जो जाने वाला है उसकी,
हॅंसकर करें विदाई हम।
आने वाले का स्वागत कर,
स्वीकारें सेवकाई हम।।
जो निष्काम करेगा करनी, जग उसके गुण गाएगा।
कोई रोक न सका किसी को, कोई रोक न पाएगा।।
अच्छा-बुरा नहीं कुछ होता,
जो जैसा स्वीकारें हम।
चुनौतियां आती हैं, आएं,
डरें नहीं, ललकारें हम।।
जो न सुपथ से विचलित होगा, सुयश केतु फहराएगा।
कोई रोक न सका किसी को, कोई रोक न पाएगा।।
शाश्वत सत्य हमारा जीवन,
गगन विहारी होंगे कल।
आज मुसीबत मुॅंह बाए जो,
कल ख़ुद ही जाएगी टल।।
विचरण आज कर रहे भू पर, कल भी काल न खाएगा।
कोई रोक न सका किसी को, कोई रोक न पाएगा।।
अपना जीवन, कवि का जीवन,
शब्द- साधना को अर्पित।
धन्य- धन्य सब कविता- प्रेमी
काव्य- कला से जो परिचित।।
काव्यानन्द काव्यप्रेमी को, प्रभु के ढिग पहुॅंचाएगा।
कोई रोक न सका किसी को, कोई रोक न पाएगा।।
परिवर्तन है नियम प्रकृति का,
भंगुर भासित जग सारा।
भारतवर्ष हमें लगता है,
प्राणोपम पुनीत प्यारा।।
राम भरोसे कर्म करे जो, वह न कभी पछताएगा।
कोई रोक न सका किसी को, कोई रोक न पाएगा।।
महेश चन्द्र त्रिपाठी