आनंद और प्राकृतिक सौंदर्य
रे मानव
तू काहे बन गया दानव
क्या चाह है तेरी
पहचान जरा
गर तू सौंदर्य प्रेमी है
क्यों बंद किये है आँखें
खोल जरा
खुली है
तो कर बंद जरा
कम से कम मुझे ना सही
महेंद्र खुदी से खुद को पहचान जरा .
डॉ महेन्द्र
रे मानव
तू काहे बन गया दानव
क्या चाह है तेरी
पहचान जरा
गर तू सौंदर्य प्रेमी है
क्यों बंद किये है आँखें
खोल जरा
खुली है
तो कर बंद जरा
कम से कम मुझे ना सही
महेंद्र खुदी से खुद को पहचान जरा .
डॉ महेन्द्र