Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Aug 2020 · 2 min read

आधुनिक शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन

श्री राजेश व्यास अनुनय के लेख शीर्षक शिक्षा और आधुनिकता दिनांक 21 अगस्त पर विवेचना। comment box में स्थानाभाव के कारण अलग पोस्ट करने पर बाध्य :

आपके कथन से मैं सहमत हूं कि आधुनिक शिक्षा प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता है हमें किताबी ज्ञान की अपेक्षा व्यवहारिक ज्ञान पर अधिक जोर देने की आवश्यकता है । शिक्षा प्रणाली में विभिन्न क्षेत्रों में व्यवहारिक ज्ञान प्रदान करने के लिए पाठ्यक्रम का समावेश आवश्यक है। हमें ग्रामीण क्षेत्रों में व्यवहारिक शिक्षा प्रदान करने का लक्ष्य निर्धारित करना होगा। जो ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार एवं व्यवसाय के अवसर प्रदान करने में सक्षम सिद्ध हो सके। जिससे ग्रामीण युवाओं को शिक्षित होने के पश्चात शहर की ओर नौकरी की तलाश में भटकना न पड़े। ग्रामीण क्षेत्रों में लघु उद्योग धंधे एवं सेवा क्षेत्रों में विकास से ग्रामीण युवाओं को ग्रामीण क्षेत्रों में ही रोजगार एवं व्यवसाय के अवसर उपलब्ध होंगे और उनका पलायन शहरी क्षेत्रों की ओर नहीं होगा। युवा शक्तियों के सहयोग से ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिक स्थिति में भी काफी सुधार की संभावनाएं हैं।
हमें ग्रामीण क्षेत्रों की जनता इस सोच में भी परिवर्तन लाने की आवश्यकता है कि युवाओं का भविष्य शहरी क्षेत्रों में ही निहित है। हमें उस मानसिकता में भी परिवर्तन लाना है जिसमें व्यवसाय से अधिक नौकरी को महत्व दिया जाता है। दरअसल हमारे देश की जनता में नौकरी को भविष्य की सुरक्षा का मूल मंत्र मान लिया गया है।
और व्यवसाय को जोखिम भरा असुरक्षित विकल्प माना गया है। वास्तविकता में वर्तमान में नौकरी भी असुरक्षा से परे नहीं है। आधुनिक युवा नौकरी में अपने को सुरक्षित महसूस करता है और यह मानसिकता है कि नौकरी में अधिक परिश्रम नहीं करना पड़ता। यद्यपि यह सत्य नहीं है। व्यवसाय में युवा प्रतिभा का विकास होता है और प्रतिभाशाली परिश्रमी युवा सफल व्यवसायी सिद्ध होते हैं।
हमें युवाओं में परिश्रम करने एवं जोखिम उठाने की क्षमता का विकास करना होगा तभी हम युवाओं को नौकरी पर निर्भर न रहकर व्यवसाय हेतु प्रेरित कर सकेंगे। जनसंख्या के विस्तार एवं शिक्षित युवाओं की संख्या में बढ़ोतरी फलस्वरूप शासन द्वारा संभव नहीं है कि समस्त शिक्षित युवाओं को रोजगार प्रदान कर सके। हमें इस तथ्य को स्वीकार करना पड़ेगा और युवा बेरोजगारी के लिए केवल सरकार पर दोषारोपण करना उचित नहीं है। कुछ हद तक जनता की मानसिकता भी इसके लिए दोषी है।
अतः व्यवहारिक ज्ञान का महत्व किताबी ज्ञान की अपेक्षा सर्वोपरि है।

Language: Hindi
Tag: लेख
10 Likes · 14 Comments · 306 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all
You may also like:
ममतामयी मां
ममतामयी मां
SATPAL CHAUHAN
👍आज का एलान👍
👍आज का एलान👍
*Author प्रणय प्रभात*
कौन याद दिलाएगा शक्ति
कौन याद दिलाएगा शक्ति
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
जगन्नाथ रथ यात्रा
जगन्नाथ रथ यात्रा
Pooja Singh
चरणों में सौ-सौ अभिनंदन ,शिक्षक तुम्हें प्रणाम है (गीत)
चरणों में सौ-सौ अभिनंदन ,शिक्षक तुम्हें प्रणाम है (गीत)
Ravi Prakash
ठहराव सुकून है, कभी कभी, थोड़ा ठहर जाना तुम।
ठहराव सुकून है, कभी कभी, थोड़ा ठहर जाना तुम।
Monika Verma
कपूत।
कपूत।
Acharya Rama Nand Mandal
जीवन
जीवन
नवीन जोशी 'नवल'
इन्द्रिय जनित ज्ञान सब नश्वर, माया जनित सदा छलता है ।
इन्द्रिय जनित ज्ञान सब नश्वर, माया जनित सदा छलता है ।
लक्ष्मी सिंह
*
*"कार्तिक मास"*
Shashi kala vyas
सच तो बस
सच तो बस
Neeraj Agarwal
गरीब
गरीब
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
रिश्तो की कच्ची डोर
रिश्तो की कच्ची डोर
Harminder Kaur
💐प्रेम कौतुक-393💐
💐प्रेम कौतुक-393💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
बस फेर है नज़र का हर कली की एक अपनी ही बेकली है
बस फेर है नज़र का हर कली की एक अपनी ही बेकली है
Atul "Krishn"
#संबंधों_की_उधड़ी_परतें, #उरतल_से_धिक्कार_रहीं !!
#संबंधों_की_उधड़ी_परतें, #उरतल_से_धिक्कार_रहीं !!
संजीव शुक्ल 'सचिन'
सब सूना सा हो जाता है
सब सूना सा हो जाता है
Satish Srijan
सपनों का सफर
सपनों का सफर
पूर्वार्थ
गुत्थियों का हल आसान नही .....
गुत्थियों का हल आसान नही .....
Rohit yadav
तुम नादानं थे वक्त की,
तुम नादानं थे वक्त की,
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
क्या हुआ , क्या हो रहा है और क्या होगा
क्या हुआ , क्या हो रहा है और क्या होगा
कृष्ण मलिक अम्बाला
यह जरूर एक क्रांति है... जो सभी आडंबरो को तोड़ता है
यह जरूर एक क्रांति है... जो सभी आडंबरो को तोड़ता है
Utkarsh Dubey “Kokil”
बस इतनी सी बात समंदर को खल गई
बस इतनी सी बात समंदर को खल गई
Prof Neelam Sangwan
दोहे. . . . जीवन
दोहे. . . . जीवन
sushil sarna
Apne man ki bhawnao ko , shabdo ke madhyam se , kalpanikta k
Apne man ki bhawnao ko , shabdo ke madhyam se , kalpanikta k
Sakshi Tripathi
विडम्बना
विडम्बना
Shaily
जी.आज़ाद मुसाफिर भाई
जी.आज़ाद मुसाफिर भाई
gurudeenverma198
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
समझे वही हक़ीक़त
समझे वही हक़ीक़त
Dr fauzia Naseem shad
मेहनत का फल
मेहनत का फल
Pushpraj Anant
Loading...