आधुनिक नारी( हास्य कविता )
आधुनिक नारी, यह तो है सब पे भारी।
कोई न पाए पार,ऐसी इसमे होशियारी।
जीवन इसका व्यस्त बहुत हो दिन चाहे रात
मोबाईल पे चला ऊंगलियां है बहुत मारामारी।
फैशन की बात न पूछो मरना है क्या
मेयकप में जब आए है हिरोईन भी हारी।
स्कूल बच्चो ने जाना है बहुत आफत का काम
सुबह सुबह उठे कौन लगे नींद सबसे प्यारी।
सास ससुर की सेवा की तो पूछो मत बात
किटी पार्टी से आकर ही खुलेगी किचन बेचारी।
भूले से इसके मायके वालों को कुछ न कहना
वरना घर में हो जाएगी महाभारत बहुत ही भारी।
चैन से जीना है गर तो समझ लो यह बात
खामोशी से चुपचाप कर लो अपनी यारी।।।
कामनी गुप्ता ***