आधुनिक द्रोणाचार्य
कुछ तो शर्म
अब करो द्रोण!
पाप का घड़ा
मत भरो द्रोण!
दलित चेतना
है क्रांति चेतना
इस चेतना से
ज़रा डरो द्रोण!
ऊब चुका है
तुमसे यह देश
चुल्लू भर पानी
में मरो द्रोण!
जो तुम पर हैं
कई पीढ़ियों से
वे सारे क़र्ज़
अब भरो द्रोण!
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