आधुनिकता का शोर।
आधुनिकता का शोर।फैल रहा चहु ओर। इस को पकड़ रहा कोई ज्ञानी चोर। इससे कोई बच नही पायेगा।जब यह तूफान बन कर आयेगा। फिर हाहा कार मचायेगा। लेकिन इसे रोक रहा कोई ज्ञानी चोर। बिना ईश्वर की इच्छा से होता न कोई शोर।।शोर जब आवाज में बदल जाता है। वहीं आकाशवाणी बन जाता है।————फिर तुझे करता है सावधान।बस!इस जमाने का बन जाता है विधान।