Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 May 2024 · 2 min read

आधुनिकता का दंश

समय का खेल देखिए
आधुनिकता की रेल देखिए
पांव पसारती दुनिया बदल रही है,
कुछ भी सोचने समझने का
मौका तक नहीं दे रही है।
आखिर देखिए न
हमारे आपके जीने खाने और रहन सहन के साथ ही
खेती बाड़ी और हमारे आचार विचार भी,
शिक्षा, कला, संस्कृति, परंपराएं, स्वास्थ्य
परिवहन, संचार, तीज त्योहार और संस्कार भी
कितनी तेजी से बदल रही है।
इतना तक ही होता तो और बात थी
रिश्ते और रिश्तों की अहमियत
और संबंधों में भी घुसपैठ करती जा रही
ये बेशर्म आधुनिकता की बयार बह रही।
मां, बाप, भाई, बहन, चाची चाची,
ताऊ, ताई, बाबा, दादी, मामा मामी, मौसा, मौसी,
बुआ, फूफा, बहन, बहनोई ही नहीं
पति, पत्नी और बच्चे भी इसकी चपेट में आ गए हैं।
और हम कभी मातृदिवस, कभी पितृदिवस
भाई अथवा बहन दिवस
बेटी दिवस और जाने कौन कौन सा
दिवस मनाने में मगशूल हैं,
सच मानिए! हम आप ही रिश्तों का मान सम्मान
आधुनिकता की आड़ में मटियामेट कर रहे हैं।
दुहाई राम, लक्ष्मण,भरत,
कंस, रावण, विभीषण, कुंभकर्ण के अलावा
कौशल्या, कैकेयी, सुमित्रा, देवकी, यशोदा,
मंथरा, मंदोदरी पन्ना धाय ही नहीं
और भी अनगिनत उदाहरण दे रहे हैं।
पर कभी सोच विचार किया है
कि आज हम आप क्या हैं?
आने वाली पीढ़ियों के लिए
कौन सा उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं?
नहीं न! हम तनिक विचार भी नहीं कर रहे हैं
हमारे विचारों पर आधुनिकता ने कब्जा कर लिया है।
जिसने रिश्तों की मर्यादा ही नहीं
अहमियत को भी हमसे छीन लिया है,
हमें नितांत स्वार्थी और संवेदनहीन बना दिया है
आधुनिकता के राक्षस ने
हमें इंसान कहलाने लायक नहीं छोड़ा है।
फिर हम दिवस कोई भी क्यों न मनाएं
औपचारिकताओं ने शिखर पर झंडा गाड़ दिया है,
हमारे बुद्धि विवेक को अपने कब्जे में कर लिया है
और हमें चलती फिरती मशीन में तब्दील कर दिया है।
थोड़ा देकर हमारा सब कुछ छीन लिया है,
सूकून के पल हों या रिश्तों की मिठास
हर जगह अपना जहर फैला दिया है,
हर रिश्ते से हमको दूर कर दिया है।
आधुनिकता के लबादे में लपेट
हमें बड़ी खूबसूरती से गुमराह कर दिया है
हमें अब इंसान कहाँ रहने दिया है
आधुनिकता ने अपनी माला हमें ही नहीं आपको भी
दिन रात जपने पर मजबूर कर दिया है।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश

Language: Hindi
1 Like · 60 Views

You may also like these posts

शीर्षक -मातृभाषा हिंदी
शीर्षक -मातृभाषा हिंदी
Sushma Singh
- रिश्ते व रिश्तेदारों से हारा हु -
- रिश्ते व रिश्तेदारों से हारा हु -
bharat gehlot
मेरी कलम से...
मेरी कलम से...
Anand Kumar
" आज़ का आदमी "
Chunnu Lal Gupta
कह्र ....
कह्र ....
sushil sarna
" संगति "
Dr. Kishan tandon kranti
विश्वास
विश्वास
meenu yadav
फूलों की खुशबू सा है ये एहसास तेरा,
फूलों की खुशबू सा है ये एहसास तेरा,
अर्चना मुकेश मेहता
मुस्कान
मुस्कान
Shyam Sundar Subramanian
मजदूर का दर्द (कोरोना काल )– गीत
मजदूर का दर्द (कोरोना काल )– गीत
Abhishek Soni
पापा आपकी बहुत याद आती है !
पापा आपकी बहुत याद आती है !
Kuldeep mishra (KD)
#जयंती_पर्व
#जयंती_पर्व
*प्रणय*
23 Be Blissful
23 Be Blissful
Santosh Khanna (world record holder)
स्वार्थी मनुष्य (लंबी कविता)
स्वार्थी मनुष्य (लंबी कविता)
SURYA PRAKASH SHARMA
4150.💐 *पूर्णिका* 💐
4150.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
नर्स और अध्यापक
नर्स और अध्यापक
bhandari lokesh
ग़म
ग़म
shabina. Naaz
4) इल्तिजा
4) इल्तिजा
नेहा शर्मा 'नेह'
जिस परिंदे के पंखों में मजबूती होती है।
जिस परिंदे के पंखों में मजबूती होती है।
Dr.sima
खामोशी सुनता हूं
खामोशी सुनता हूं
Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash)
मैं दीपक बनकर जलता हूं
मैं दीपक बनकर जलता हूं
Manoj Shrivastava
गर्मी
गर्मी
Rajesh Kumar Kaurav
२०२३ में विपक्षी दल, मोदी से घवराए
२०२३ में विपक्षी दल, मोदी से घवराए
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
परछाई
परछाई
Dr Mukesh 'Aseemit'
मैं अक्सर देखता हूं कि लोग बड़े-बड़े मंच में इस प्रकार के बय
मैं अक्सर देखता हूं कि लोग बड़े-बड़े मंच में इस प्रकार के बय
Bindesh kumar jha
जीवन उत्सव मृत्यु महोत्सव
जीवन उत्सव मृत्यु महोत्सव
महेश चन्द्र त्रिपाठी
हिंदी क्या है
हिंदी क्या है
Ravi Shukla
कविता की आलोचना में कविता
कविता की आलोचना में कविता
Dr MusafiR BaithA
,,,,,,,,,,?
,,,,,,,,,,?
शेखर सिंह
राग दरबारी
राग दरबारी
Shekhar Chandra Mitra
Loading...