*”आधा अधूरा चाँद”*
“आधा अधूरा चाँद”
बादलों की ओट में छिप कर ,
सोलह कलाओं को दिखलाता।
पूर्णमासी चंद्र का प्रतिबिंब का दर्शन ,
कभी घटता कभी बढ़ते ही जाता आधा अधूरा चाँद दिखता जाता।
कभी पूर्ण चाँद पूनम की रात में ,
ईद मुबारक कह जाता।
कभी शरद पूर्णिमा पर पूर्ण चाँद अमृत कलश बरसाता।
अंधियारी रात्रि में चंद्र प्रकाश से ,
संपूर्ण ब्रम्हांड को उजियारा कर जाता।
करवा चौथ का चाँद बादलों में छुप कर ,
कभी पूर्ण कभी अधूरे चाँद की सुंदर छबि दिखलाता।
निर्जला व्रत धारण कर अंखड सौभाग्य वर मांगने ,
जल दुग्ध अर्ध्य पुष्प अर्पित पति की लंबी उम्र की कामनाओं के वरदान दे जाता।
नील गगन में अनगिनत तारों संग ,
चाँद कभी बढ़ता कभी आधा अधूरा चाँद दिखाई दे जाता।
शशिकला व्यास✍