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16 Jan 2022 · 1 min read

आधार छन्द- “वंशस्थविलं” (मापनीयुक्त वर्णिक)

वर्णिक मापनी- लगाल गागाल लगाल गालगा (12 वर्ण)
पिंगल सूत्र- ज त ज र
ध्रुव शब्द- “मौन” (छन्द में कहीं भी आ सकता है)
12 1 2 21 121 212
व्यतीत ज्यों #मौन हुई विभावरी।
विभीषिका देह सदा रही भरी।।
चढ़ा कुहासा चित व्योम मण्ड सा,
बजा रही तान वियोग बाँसुरी।।

बिछोह ऐसा कि न जाय रे! सहा।
वियोग कान्हा बढ़ ताप सा रहा।
पुकारती आस लिए वियोगिनी,
पिया मिले तो सजती सु-रागिनी।

नीलम शर्मा ✍️
विभीषिका-भय
मण्ड-माँड

1 Like · 523 Views
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