*आदिशक्ति का अंश*
आदिशक्ति का अंश
मैं आदिशक्ति का अंश हूं,
नन्हीं कोई चिड़िया नहीं,
जो पंख बांधकर मुझको,
वंचित कर दोगे उड़ने से।
मर्यादा ही वह बंधन है,
जो मुझको बांधे रखता है,
उन्मुक्त गगन सा मन मेरा,
उड़ने को आतुर रहता है।
स्वेच्छा से निभ जाती हूं,
स्नेह तले दब जाती हूं,
संस्कारों से झुक जाती हूं,
कमजोर समझना मत मुझको।
जग के सारे रिश्तों का,
केंद्र बिंदु मैं ही तो हूं,
हर स्नेहिल बंधन का,
प्रथम सिरा मैं ही तो हूं।
कोमलता में पगी दृढ़ता,
अग्नि लिपटी शीतलता में,
अल्भ्य गुणों से भूषित कर,
दाता ने मुझको भेजा है।
मैं आदिशक्ति का अंश हूं,
नन्ही कोई चिड़िया नहीं,
आदिशक्ति का अंश हूं
शक्ति का अंश हूं।।।।