“आदिवासी समाज”
सरल-सौम्यता का प्रतीक,
परम्परागत ज्ञान के धनी।
जल-जंगल-जमीन का
करते जो संरक्षण,
प्राकृत के रहे हमेशा उपासक।
वन, पर्वत, नदियों की करते
आराधना,
सूर्य से मिलती जिनको नव
जीवन की चेतना।
संभुशेख (महादेव) है जिनके
अस्तित्व में रचें-बचे,
भीली,गोंडी,संताली है जिनकी
प्रमुख भाषा।
भीमा नायक जैसे स्वतंत्रता सेनानी
जना,
जो अंग्रेजों से अंतिम सांस तक लड़ा।
निःस्वार्थ भाव से महाराणा प्रताप की
जिसने सहायता,
थे महान भोमट राजा भील राणा पुंजा।
बिरसा मुंडा थे अमर बलिदानी,
अंग्रेजों से लोहा लेकर जन क्रांति
की एक अलग अलख जगा दी।
उस आदिवासी समाज को मैं
करता हूँ नमन बारंबार,
प्राकृत औऱ देश की रक्षा के
लिए रहते सदा तैयार।
स्वरचित- आलोक पाण्डेय गरोठ वाले