आदिवासी और दलित अस्मिता का मौलिक फर्क / मुसाफिर बैठा
एक आदिवासी बुद्धिजीवी
अन्य समाज से पिछड़ कर भी
अपनी सभ्यता और अस्मिता को आगे रख
अकड़ता है।
एक दलित बुद्धिजीवी
अन्य समाज से पिछड़कर
अपने हक के रूप में
हड़पी अस्मिता को पाने के लिए तड़पता है
एक आदिवासी बुद्धिजीवी
अन्य समाज से पिछड़ कर भी
अपनी सभ्यता और अस्मिता को आगे रख
अकड़ता है।
एक दलित बुद्धिजीवी
अन्य समाज से पिछड़कर
अपने हक के रूप में
हड़पी अस्मिता को पाने के लिए तड़पता है