आदर्श लौट आऐं
राम मंदिर भव्य तो बन गया ,
भगवान की शान में।
अब जिंदा रखना है,
श्री राम के आदर्शो को घर के आंगन में।
अब कोई माता न रोए बजूर्ग होने पर,
कोई पिता न सोए फुटपाथ पर।
अब कोई न गरभ पात हो,
राम मंदिर पर सबको विश्वास हो।
पैसों की न जय कार हो,
सबका आपस में प्रेम का व्यवहार हो।
राम युग का फिर से प्रकाश हो,
हर दिल में बहती भगति धार हो।
भगति और प्रेम भाव इतना बढ़ जाए,
कि श्री राम फिर से आने को आतुर हो जाए।
राम मंदिर में फिर से मन की दीप ज्योति जग जाए
राम मंदिर का सम्मान तब बढ़ जाए,
जब हर कोई सच्ची भगति की सीढ़ी चढ़ जाए।
हर तरफ भगवा ही भगवा लहराए,
धरती पावन और मन मगन हो जाए।