*आदर्श युवा की पहचान*
आदर्श युवा की पहचान
जो चुनना गुनना बुनना सीखे, बेमतलब ना बात करें।
बोल हों जिसके यथार्थ तीखे, जो परोपकार की बात करे।
जो कमजोर की करें भलाई, मन लगाकर करें पढ़ाई।
जो गरीबों पर दया दिखाये, खुद के साथ गैरों को भाये।
आंँखों में हो भविष्य जिसके मन में आस, करें लक्ष्य हेतु सतत प्रयास।
जो अड़ जाये सीने चढ़ जाये, निडर हो आगे बढ़ जाये।
मन में हो जिसके लगन उत्साह और विश्वास।
जो छोड़े नहीं बीच में सतत प्रयास।
जिसकी कौवे जैसी इच्छा हो, बगुले जैसा ध्यान लगाये।
कुत्ते जैसी नींद हो जिसकी, बाज जैसी नजर घुमाये।
जिसका जोश जज्बा से ही मान सम्मान है।
दुष्यन्त कुमार की कलम से ऐसे युवा का जयगान है।
यही एक सच्चे आदर्श युवा की पहचान है।