“आदर्श पिता”
“आदर्श पिता”
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पिता को पितृ कह लें या पापा ,
वे तो रहेंगे संतति के जन्मदाता ।
जो बच्चों में सर्वगुण है भर जाता,
वो ही एक अच्छा पिता कहलाता।
भले – बुरे का ज्ञान बोध कराकर ,
संसार में जीने के लायक बनाता ।
कदम – कदम पे ऊंगली पकड़कर ,
चलने-फिरने का तजुर्बा सिखलाता।
तिनका – तिनका जोड़ जोड़कर ,
पल-पल खून पसीना वो बहाता ।
घर – परिवार चलाने की खातिर ,
सदैव एड़ी-चोटी एक कर जाता ।
अपना ग़म वो नहीं कभी दिखाता ,
संतति के दु:ख पे अंतर्मन रो जाता।
त्याग की प्रतिमूर्ति हर पिता ही होता,
जिसे दुनिया आज स्वीकार है करता।
छत्रछाया में संतान नित सपने बुनता ,
वो उसका “आदर्श पिता” ही तो होता।
पिता का छाॅंव सबके लिए सुखद होता,
क्योंकि हर तपती धूप से है वो बचाता।
( स्वरचित एवं मौलिक )
( सर्वाधिकार सुरक्षित )
© अजित कुमार “कर्ण” ✍️
~ किशनगंज ( बिहार )
तिथि : १६ / ०६ / २०२२.
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