‘आदरणीय गुरु’
सिखलाए, वो गुरु
बतलाए, वो गुरु
समझाए,वो गुरु
इनसे बढ़कर कौन।
चरणों में इनकी छाया
हृदय में इनकी माया
हरदम रहता हमपर साया
इनसे बढ़कर कौन।
बातों में इनके ज्ञान
जिनसे होता हमारा कल्याण
बढ़ता जिनसे है ज्ञान
इनसे बढ़कर कौन।
सम्मान करें ह्रदय से आपका
आभार व्यक्त करें आपका
फिर अर्थ क्या पूजा – पाठ और जाप का
इनसे बढ़कर कौन।
होता जिनसे जग है रौशन
कर लें ज़रा उनका हम दर्शन
सत्य मार्ग फिर मिल जाएँगे
सभ्य पुष्प खिल जाएँगे।
ख़ुश क़िस्मत समझूँ मैं ख़ुद को
सानिध्य मिला इतना है मुझको
प्रफ़ुल्लित हो, हृदय से कहूँ
आपसे बढ़कर कौन।
करते हैं हम नमन आपको
करके आनन्दित अपने आप को
स्वीकार करें स्नेह हमारा
आप हैं तो है जग सारा।
—सोनी सिंह
बोकारो(झारखंड)
आप सभी को गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं।?