आदम बदी पर
आदम बदी पर
आदम बदी पर आ गया है,
अपनों को भी खा गया है ,
सोच नहीं पता अब आदमियत
आदमखोर बनना भा गया है।
लूट चला अपने ही घर को
हर तरफ परचा छपवा गया है.
जिस्मों के भूखे नंगे लोगो के बिच
अपना जिस्म तार तार करवा गया है।
आदम बदी पर आ गया है,
अपनों को भी खा गया है ,
पहचान करना भूल गया है
इंसानियत पर बदल बन छा गया है,
देख रहा है वो तुमको भी अब
मौका मिलते ही ये दानव यारों
धरती पर हर सुनहरी चीज़ को खा गया है।
आदम बदी पर आ गया है,
अपनों को भी खा गया है ,
आपका अपना दोस्त ©तनहा शायर हूँ