आदमी
देख लो दुनिया में कैसा भुछाल छाने लगा ।
आदमी खुद ही खुद आफत में है आने लगा ।
फ़िक्र है उसको ना आज किसी काम की ।
दौलत की खातिर अपनों है बिकवाने लगा ।
हौसले उसके है कुछ इस तरह टूटे हुए।
पागलों की तरह है अपने होश गंवाने लगा ।
बेच कर घरवार अपना खुद हवा लेने लगा ।
इज़्ज़तों को बेचकर है खुद मज़ा लेने लगा ।
मां बाप क्या होते हैं उसे कब ये मालूम है ।
दौलत का हर वक्त लोभ उसको है सताने लगा ।
Phool gufran