आदमी सा आदमी_ ये आदमी नही
आदमी सा आदमी_ ये आदमी नही
इंसान में ही न रहा इंसान अब कही
मैं था जहां खड़ा वही पर रहा खड़ा
लाचार दर्द झेलता वही पर रहा पड़ा
कृष्णकांत गुर्जर
आदमी सा आदमी_ ये आदमी नही
इंसान में ही न रहा इंसान अब कही
मैं था जहां खड़ा वही पर रहा खड़ा
लाचार दर्द झेलता वही पर रहा पड़ा
कृष्णकांत गुर्जर