आदमी क्यों फ़क़ीर है दिल से
आदमी क्यों फ़क़ीर है दिल से
हर बशर जब अमीर है दिल से
वो फ़रिश्ता है यार दुनिया में
साफ़ जिसका जमीर है दिल से
शख़्स जो भी है खुद से शर्मिन्दा
वो ही सच्चा अमीर है दिल से
बख़्श दे क़ातिलों को, जीने दे
ये सज़ा ही नज़ीर है दिल से
हो के भी जो नहीं है दुनिया में
सिर्फ़ वो ही फ़क़ीर है दिल से