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9 Nov 2020 · 1 min read

आदमी कितना नादान है

आदमी कितना नादान है
अपने को समझ नहीं पाया है
मंदिर में शंख घंटे बजाता है
भगवन को जगाने के लिए,
पर खुद को न जगा पाया है |

भगवान को छप्पन भोग लगाता है
पर बाहर भूखे को खिला न पाया है
आदमी अभी तक आदमी ही रहा
वह इंसान अभी तक न बन पाया है ||

भगवान् को रेशमी वस्त्र पहनाता है
बाहर नंगे को कुछ न उढ़ा पाया है ,
देखो,ये आदमी की कैसे अनदेखी है
जिसको जरूरत है उसे न उढ़ा पाया है||

आर के रस्तोगी
गुरग्राम

Language: Hindi
1 Like · 368 Views
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