आदमी कई दफ़ा झूठ बोलता है,
आदमी कई दफ़ा झूठ बोलता है,
सच को वो छुपाकर रखता है
और झूठ में ही मुॅंह खोलता है!
ये कैसा ज़माना आ गया है…
झूठ से सच को तोलता है।
…. अजित कर्ण ✍️
आदमी कई दफ़ा झूठ बोलता है,
सच को वो छुपाकर रखता है
और झूठ में ही मुॅंह खोलता है!
ये कैसा ज़माना आ गया है…
झूठ से सच को तोलता है।
…. अजित कर्ण ✍️