आदमीं
जल स्वार्थ भरा आदमी ।
निग़ाह टारता आदमी ।
स्वार्थ पर ही सवार आदमी ।
चाहे खुदकी जयकार आदमी ।
निग़ाह से उतारता आदमी ।
करता नजर अंदाज आदमी ।
चेहरे का पानी उतारता आदमी ।
सूखा पानी निग़ाह आदमी ।
खोता आज संस्कार आदमी ।
लेता बस प्रतिकार आदमी ।
….. विवेक दुबे”निश्चल”@…