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28 Apr 2017 · 1 min read

आदत से मजबूर

जल्दी से माने कहाँ,अपना कभी कसूर !
ऐसा ही है आदमी, .आदत से मजबूर!!

करते है आलोचना,…देते हैं उपदेश !
वोजब कर सकते नही,कुछ भीअगर रमेश!!

कौन करेगा आपकी,…. बातों पर विश्वास!
अगर जगाकर तोडदी, सहज किसी की आस!
रमेश शर्मा.

Language: Hindi
1 Like · 441 Views
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