आदत अच्छी नहीं है किसी को तड़पाने की
कसम खाई है क्या तुमने हमें सताने की,
इतना पास आके मुझसे दूर जाने की।
हंसके कह दो तो खुशी से मर जायेंगे हम,
क्या जरूरत है इतने सितम ढाने की।
तेरे बिना ज़िंदगी अधूरी है अब तो समझ भी जाओ,
या अब भी ये बात रह गई है बताने की।
तुम्हारे दीदार को तरसती हैं ये आंखें,
कोई वजह बता दो हमको नहीं आने की।
इंतजार की भी इक हद होती है,
आदत अच्छी नहीं है किसी को ऐसे तड़पाने की।