Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Sep 2017 · 1 min read

“आत्म-निर्भरता और दुनिया”

कभी मैं भूल जाती हु
कभी उन्हें याद रहता है,
भूल-भलैया खेल में आखिर,
अजनबी ही साथी बन साथ निभाते है,

नज़र तो है जो परख लेती है,
पर अपने ही मुश्किलें बढ़ा देते है,

हमने सोचा बात कापी-किताबों तक है,
गद्दार चाकू-छुरों से वार कर बैठे….।।

मिले कोई डोर दिलों के संयोजन की,
अपना भी …………..उद्धार हो जाए,
महेंद्र परवाह नहीं सकता ,
दुनिया की :-
कोई दिवाना कहता है,
कोई पागल समझता है,
अपनी तो दुनिया खुद से शुरू होकर,
आत्म-निर्भरता …….पैदा करती है,

डॉ महेन्द्र सिंह खालेटिया,

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 282 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mahender Singh
View all
You may also like:
उसकी नज़र में अहमियत
उसकी नज़र में अहमियत
Dr fauzia Naseem shad
किस कदर
किस कदर
हिमांशु Kulshrestha
श्रमिक दिवस
श्रमिक दिवस
Bodhisatva kastooriya
रंग ही रंगमंच के किरदार है
रंग ही रंगमंच के किरदार है
Neeraj Agarwal
चलते जाना
चलते जाना
अनिल कुमार निश्छल
वसुधा में होगी जब हरियाली।
वसुधा में होगी जब हरियाली।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
*शबरी (कुंडलिया)*
*शबरी (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
हिंदुस्तान जिंदाबाद
हिंदुस्तान जिंदाबाद
Aman Kumar Holy
हक औरों का मारकर, बने हुए जो सेठ।
हक औरों का मारकर, बने हुए जो सेठ।
डॉ.सीमा अग्रवाल
2967.*पूर्णिका*
2967.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पेडों को काटकर वनों को उजाड़कर
पेडों को काटकर वनों को उजाड़कर
ruby kumari
आदमी की संवेदना कहीं खो गई
आदमी की संवेदना कहीं खो गई
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
प्रेम की बंसी बजे
प्रेम की बंसी बजे
DrLakshman Jha Parimal
क्या मुकद्दर बनाकर तूने ज़मीं पर उतारा है।
क्या मुकद्दर बनाकर तूने ज़मीं पर उतारा है।
Phool gufran
गीतिका
गीतिका
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
तू सुन ले मेरे दिल की पुकार को
तू सुन ले मेरे दिल की पुकार को
gurudeenverma198
सारा शहर अजनबी हो गया
सारा शहर अजनबी हो गया
Surinder blackpen
NUMB
NUMB
Vedha Singh
■ लिख कर रखिए। सच साबित होगा अगले कुछ महीनों में।
■ लिख कर रखिए। सच साबित होगा अगले कुछ महीनों में।
*Author प्रणय प्रभात*
*कुंडलिया छंद*
*कुंडलिया छंद*
आर.एस. 'प्रीतम'
रोज रात जिन्दगी
रोज रात जिन्दगी
Ragini Kumari
💐प्रेम कौतुक-429💐
💐प्रेम कौतुक-429💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
हाय.
हाय.
Vishal babu (vishu)
Perfection, a word which cannot be described within the boun
Perfection, a word which cannot be described within the boun
Sukoon
माँ की छाया
माँ की छाया
Arti Bhadauria
"बड़ी चुनौती ये चिन्ता"
Dr. Kishan tandon kranti
फ़ब्तियां
फ़ब्तियां
Shivkumar Bilagrami
पवित्र मन
पवित्र मन
RAKESH RAKESH
अब नई सहिबो पूछ के रहिबो छत्तीसगढ़ मे
अब नई सहिबो पूछ के रहिबो छत्तीसगढ़ मे
Ranjeet kumar patre
रूह बनकर उतरती है, रख लेता हूँ,
रूह बनकर उतरती है, रख लेता हूँ,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
Loading...