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17 May 2023 · 1 min read

*शबरी (कुंडलिया)*

शबरी (कुंडलिया)

रहती थी वन में सदा, शबरी भक्त-प्रधान
नवधा-भक्ति अनूप थी, प्रभु ने करी प्रदान
प्रभु ने करी प्रदान, बेर जूठे थे खाए
शबरी संत महान, राम प्रभु मिल हर्षाए
कहते रवि कविराय, नाम-जप नित कहती थी
रोज बुहारे पंथ, प्रतीक्षारत रहती थी

रचयिता रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा रामपुर उत्तर प्रदेश मोबाइल 99976 15451

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