आत्म ज्ञान
Dr Arun Kumar shastri एक अबोध बालक अरूण अतृप्त
आत्म ज्ञान
योग साधना आत्म ज्ञान
की सीढ़ी हैं
करते रहोगे जो योग
आप तो
योग से साधना
साधना से समाधि
न रहे कष्ट
कोई न रहे व्याधि
आपको आपसे
चुरा न पाएंगे
जीवन से आपका
परिचय कराएंगे
करते रहे योग
आप जो
सब मुस्कुराएंगे
आत्मा से आत्मा
का अनुराग निबाहेंगे
संसार में किसी से
कोई गुनाह न हो कभी
हम आपको
हम आपको
इसी तरह
एक नई कहानी सुनाएंगे
गर साथ साथ रहे हम
तो एकता बने
वसुधैव कुटुंबकम्
मंत्र से प्रेम जगाएंगे
सो रही है जो दुनिया उसे
अब जगायेंगे
बदल जाये अगर माली
तो कोई गम नही होगा
आत्मनिर्भर हैं हम
ये हालात अब सारे
जमाने भर में फैलाएंगे
तुझे शक हो तो होता रहे
उसकी क़ुदरत पर
इरादा क्या था
उसका यही किस्सा
सुनाने तो
हम अबकी बार आएं हैं
गलत हो जाये बन्दा
तो चलेगा एक बार
गलत हो जाए
मेरा मालिक
ये कहाँ बर्दाश्त
हम सभी कर पाएंगे।।