आत्म आंकलन
हमारे जीवन की
गुणवत्ता हमारी क्रियाओ,
हमारे विचारो
हमारे संघर्षो की
प्रतिध्वनि है।
हम तक वही
लोट रहा है
जो हमने दिया।
इन पलो से गुजरते
करे आत्म आवलोकन।
अतीत के काम में
हमने कैसे सुर फुके।
वर्तमान की मिट्टी में
हम क्या बो रहे है।
जीवन की इस कथा को
हम कैसे लिख रहे है।
जीव कि भौतिक स्थितियां
बेहतर कर देने से
जीवन हो जाता बेहतर।
मानव के लिए नही
होता इतना पर्याप्त
स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग का
बेहतर परिणाम ।
जीवन की गुडवत्ता के
बेहतर होने का
पर्यायवाची नही है।।