आत्मसम्मान का महत्व
जीवन की दौड़ में, हम सब भटक रहे हैं,
आत्मसम्मान का खोज रास्ता ढूंढ रहे हैं।
खुद को खो बैठे, अनजाने में चलते हैं,
सोचों में उलझे, आजादी से डरते हैं।
आत्मसम्मान है वह ज्योति, जो सदैव जलती है,
संकट के समय में भी, खड़ी रहती है।
स्वार्थ से परे, निःस्वार्थी बनती है,
अपने लक्ष्य को पाकर, जीवन को बनाती है।
होंठों पर मुस्कान, जिद का पर्दा होता है,
उच्चता की ऊंचाई, उन्नति का मार्ग होता है।
सम्मान की दौलत है, यह सबसे बड़ी है,
जब आत्मसम्मान हो, तभी सच्ची सफलता है।
सदैव संगठित, अपने वचनों पर चलते हैं,
कर्मों में समर्पित, अपना कर्तव्य निभाते हैं।
सत्य, न्याय, और ईमानदारी की मिसाल हैं,
आत्मसम्मान की आधारशिला, जो हमेशा खड़ी हैं।
आत्मसम्मान का महत्व, हमें समझाता है,
खुद को मानते, अपनी क़िमत पहचानता है।
यह जीवन का रास्ता, आगे बढ़ाता है,
आत्मसम्मान से जग में, खुद को सजाता है।
चाहे दुनिया जैसी भी हो, हमेशा याद रखें,
आत्मसम्मान ही है, जो हमें सबसे ऊँचा बनाता है।
यह उस रास्ते की पहचान है, जो सच्चा है,
आत्मसम्मान की वजह से, हम सदैव जीतते हैं।