आत्मविश्वास ही हमें शीर्ष पर है पहुंचाती… (काव्य)
दुनिया को कुछ देने की ताकत ही तो
मानव को पूज्यनीय बनाती इस जग में
वरना भव में डांगर भी आते और जाते
करना है तो कुछ अलग करो, जिससे
देश ही न बल्कि दुनिया तुम पे गर्व करें…
तुम वो कर सकते जो तुम सोच सकते
तुम्हारे अंतरतन में है एक अलग उमंग
जो और किसी गैर मनुज में है कहां
अपने अंदर की ताकत को मरने न दो
अन्यथा दुनिया तुम्हें फेलियर कहेगी ही…
उद्भव हुआ तो एक दिवा जाना तय ही है
क्यों न जाने से पहले कुछ ऐसा कर जाय
जिससे सदियों तक दुनिया हमें याद रखें
न कुछ कर जाने से दो दिन की होगी गम
फिर धीरे धीरे जग हमें विस्मृत कर ही देगी…
कोई किसी का साथ न देता इस जहां में
लोग अपना लाभ देखकर सहयोग करते
किसी मानव पर इतना विश्वास ना ही करें
जिससे की उसे पृथक होने पर हमें गम हो
आत्मविश्वास ही हमें शीर्ष पर है पहुंचाती…
कवि:- अमरेश कुमार वर्मा