आत्मदाह
आत्मदाह करने वालों की, कायरता पहचान है
मरे बाद भी उनको जग में मिलता ना सम्मान है
जो आफत ना झेल सके वो सीना भी सीना क्या
जो जीवन से हार गए उनका जीने में जीना क्या
ज़िंदगी अगर ज़हर है तो क्यों ना पी के मरा जाए
मौत तो सबको आनी है क्यों ना जी के मरा जाए
गर मरना ही है जीवन में कुछ करके मरना चहिए
दुनियां करे सलामी, ऐसा कर्म कोई करना चहिए
यश अपयश लाभ और हानि सबसे ही तो नाता है
धीरज, धर्म, धैर्य से, इस जीवन को जीता जाता है
आजाद मंडौरी भय चिंता मन से खोकर देख जरा
जीवन बड़ा सुहाना है, जीवन का होकर देख जरा
• कवि आजाद मंडौरी
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