Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Dec 2017 · 1 min read

आती है ललाई चेहरे पर I

आती है ललाई चेहरे पर
जब देख मुझे मुस्काती हो
दिल में होल सा उठता है
जब हंस कर तुम लज्जाती हो.

ऑंखें तुम्हारी कजरारी सी
ज़ुल्फ़ों में छिप छिप जाती है
बादल हो या न हो, समां में
बिजली चमक सी जाती है .

पलकों को गिरा दो शर्मा कर
घनघोर अँधेरा हो जाए
ज़ुल्फ़ों को उठा दो मुखड़े से
बरबस उजाला हो जाए.

लाल गुलाबी होंठ तुम्हारे
कमलनाल से हाथ
उर्वशी और मेनका ने देखो
खायी है तुमसे मात.

किस कुम्हार की पूजा हो तुम ?
क्यूँकर उसने तुम्हे बनाया ?
पूजा के पुष्प किसको चढ़ाऊँ
‘उसको’ या जिसकी यह काया.
————————————-
सर्वाधिकार सुरक्षित /त्रिभवन कौल

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 502 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
* इस तरह महॅंगाई को काबू में लाना चाहिए【हिंदी गजल/ गीति
* इस तरह महॅंगाई को काबू में लाना चाहिए【हिंदी गजल/ गीति
Ravi Prakash
दीपावली २०२३ की हार्दिक शुभकामनाएं
दीपावली २०२३ की हार्दिक शुभकामनाएं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
"मछली"
Dr. Kishan tandon kranti
ନୀରବତାର ବାର୍ତ୍ତା
ନୀରବତାର ବାର୍ତ୍ତା
Bidyadhar Mantry
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
बस यूं बहक जाते हैं तुझे हर-सम्त देखकर,
बस यूं बहक जाते हैं तुझे हर-सम्त देखकर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बिन पैसों नहीं कुछ भी, यहाँ कद्र इंसान की
बिन पैसों नहीं कुछ भी, यहाँ कद्र इंसान की
gurudeenverma198
अपनों के अपनेपन का अहसास
अपनों के अपनेपन का अहसास
Harminder Kaur
4606.*पूर्णिका*
4606.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
🙅प्रावधान से सावधान🙅
🙅प्रावधान से सावधान🙅
*प्रणय प्रभात*
नाजुक देह में ज्वाला पनपे
नाजुक देह में ज्वाला पनपे
कवि दीपक बवेजा
जम़ी पर कुछ फुहारें अब अमन की चाहिए।
जम़ी पर कुछ फुहारें अब अमन की चाहिए।
सत्य कुमार प्रेमी
बिन परखे जो बेटे को हीरा कह देती है
बिन परखे जो बेटे को हीरा कह देती है
Shweta Soni
कहने   वाले   कहने   से   डरते  हैं।
कहने वाले कहने से डरते हैं।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
संस्कार का गहना
संस्कार का गहना
Sandeep Pande
रिश्ता चाहे जो भी हो,
रिश्ता चाहे जो भी हो,
शेखर सिंह
एक दिन की बात बड़ी
एक दिन की बात बड़ी
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
घर
घर
Shashi Mahajan
अंतिम इच्छा
अंतिम इच्छा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
विष का कलश लिये धन्वन्तरि
विष का कलश लिये धन्वन्तरि
कवि रमेशराज
राम आए हैं भाई रे
राम आए हैं भाई रे
Harinarayan Tanha
रौनक़े कम नहीं हैं दुनिया में ,
रौनक़े कम नहीं हैं दुनिया में ,
Dr fauzia Naseem shad
दो जीवन
दो जीवन
Rituraj shivem verma
यूं ही नहीं मिल जाती मंजिल,
यूं ही नहीं मिल जाती मंजिल,
Sunil Maheshwari
वियोग आपसी प्रेम बढ़ाता है...
वियोग आपसी प्रेम बढ़ाता है...
Ajit Kumar "Karn"
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
बुंदेली दोहा - किरा (कीड़ा लगा हुआ खराब)
बुंदेली दोहा - किरा (कीड़ा लगा हुआ खराब)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
नफरत थी तुम्हें हमसे
नफरत थी तुम्हें हमसे
Swami Ganganiya
बाण मां के दोहे
बाण मां के दोहे
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
जिंदगी है कि जीने का सुरूर आया ही नहीं
जिंदगी है कि जीने का सुरूर आया ही नहीं
Deepak Baweja
Loading...