आतंक
इंसानियत को अब आतंक का डर है
क्यों पनपता यह एक मौत का घर है
निला आकाश भी आज हो गया काला
मानव की भूमि को यह करता बंजर है
_____________अभिषेक शर्मा
इंसानियत को अब आतंक का डर है
क्यों पनपता यह एक मौत का घर है
निला आकाश भी आज हो गया काला
मानव की भूमि को यह करता बंजर है
_____________अभिषेक शर्मा