आतंकवाद
मानवता शर्मसार हुआ,
जग में फिर अंधकार हुआ।।
विछोह हुआ भाई बहन में,
जल गया चिराग घर का,
लुट गया सुहाग किसी का,
चला गया वह छोङ अपने मां को।।
हो गई अनाथ उसके लाड़ले,
हाय ये देव , यह तुने क्या किया??
कुछ हैवानों कि है यह करतुत,
नफ़रत है जिन्हें इन्सानियत से।।
अपने आग बुझाने के लिए,
दुसरे के घर मातम विछा जाते हैं।।
दिखाने उस झुठी ताक़त को,
ना जाने कितने घर उजाङ जाते हैं।।
ना जाने कितने बेतुका वजह मिलते उन्हें,
उजाङने दुसरे का घर।।
पता नहीं,सायद उन्हें लगता है,
दर्द देकर ,मातम विछा कर,
जगह बना रहे अच्छा , अपने वतन के नजर में।।
ना जाने कौन सी है ऐसी ग्रन्थ ,
जिनमें लिखा यह शान्ति मार्ग,
हमें ना मिला राह यह,
गिता -कुरानो में,
ओह! उन्हें खुदा खुद आकर दिखाया,
यह प्रेम पूर्ण राह।।
हमारी उन महान आत्माओं से,
सिर्फ करनी है विनती इतनी,
ना उजाङे घर किसी का,
होती है कष्ट खुदा,
आखिर हम भी तो लाड़ले उनके।।