आतंकवाद
आतंकवाद
काल जकाँ ई, आतंकवाद अछि,
ओझरौने सभ विकासक चाल।
मध्यएशिया खंडहर भ’ रहल अछि,
आतंकवाद बनल आब बिशद विसाल।
कैएक किसिम क’ बम बरखै अइ,
पसरल अछि युद्ध अति विकराल।
तेल संकट आब विश्व में भेल अइ,
मंदी स’ जूझए विश्व फिलहाल।
विकास क’ पाय से,सुरंग बिछौलक,
महु तजि चलल,बशर हूर मुहाल।
हमास हुथि के बाजा बजौलक ,
हिजबुल्लाह सभ केऽ देखु हाल।
मुदा एकटा मुलुक सऊदी अछि ,
तोड़लक आतंक केऽ अंतरजाल।
आतंकी सभ सऽ नाता तोड़ने अछि,
मुह लोकक निमिष, निरखि निहाल।
मजार मदरसा के जाल ओतए नञ,
पहिले कक्षा स इंग्लिश पढै़ये नौनिहाल।
जुलुम अधलाह यदि करबै ओतऽ तऽ ,
फांसी होईत अछि, बीच सड़क महाल।
मुदा भारत कऽ अहां हाल तऽ देखू ,
उग्र बनल अछि एतअ नौनिहाल।
आतंकी होय जेना हुनक नानू दादू ,
कैंडल मार्च जुलुस कतेऽक विशाल।
मदरसा ज्ञान सऽ नेना भ्रमित भेल,
रोपलक नृप जेऽ कालक जाल।
ज्ञान विकास से मतलब नहिं रहि गेल,
सोचि रहल अछि आब तिहुँ काल।
विकासवाद से वोट नञ भेटऽ,
नव कश्मीर कऽ अहां देखू हाल।
चहुँदिस विकासक बयार बहैये,
अलगाववाद तइयो अछि बहाल।
विकासित खुशहाल बनत देश जखने,
आतंकवाद कऽ जब करब हलाल।
पत्थरबाजी सऽ मुक्ति भेटत तखने,
एक समान शिक्षा जब करब बहाल।
मौलिक एवम् स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – ११/१०/२०२४ ,
आश्विन, शुक्ल पक्ष,नवमी ,शुक्रवार
विक्रम संवत २०८१
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