*आठ,नौ, दस*
आठ,नौ, दस
**********
बोलो अब, आठ, नौ, दस;
लड़ना-झगड़ना, करो बस।
पढ़ाई में रहो, सदा व्यस्त;
सबको कर दो, तुम पस्त।
कभी मत करो,समय नष्ट;
फिर न होगा, कभी कष्ट।
आम से, निकलता जो रस;
खूब पियो, और रहो मस्त।
…✍️प्रांजल
…….कटिहार।
आठ,नौ, दस
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बोलो अब, आठ, नौ, दस;
लड़ना-झगड़ना, करो बस।
पढ़ाई में रहो, सदा व्यस्त;
सबको कर दो, तुम पस्त।
कभी मत करो,समय नष्ट;
फिर न होगा, कभी कष्ट।
आम से, निकलता जो रस;
खूब पियो, और रहो मस्त।
…✍️प्रांजल
…….कटिहार।