#आज_का_गीत :-
#आज_का_गीत :-
■ मुंह देखे के बोल बचा कर के रख लो…!
【प्रणय प्रभात】
“एक महामानव जो तुमको मान सकें।
पग-पग पर याचक अनगिन पा जाएंगे।।
मुँह देखे के बोल बचा कर के रख लो।
और किसी के काम कभी आ जाएंगे।।
– तुमको क्या लगता है अब तक बच्चे हैं?
तुमने क्या समझा है अब तक कच्चे हैं?
हाव-भाव की थोड़ी परख नहीं हम को।
सिखा दिए है जग ने सबक़ कई हम को।।
धोखे आख़िर कितने कब तक खाएंगे?
मुँह देखे के बोल बचा कर के रख लो।
और किसी के काम कभी आ जाएंगे।।
– हमें पता है तुम निश्छल थे सच्चे थे,
मगर बात है तब की जब तुम बच्चे थे।
अब अधेड़ हो फ़ितरत बदल गई सारी,
सूरत वो ही सीरत बदल गई भारी।
सब दांव पुराने हुए नहीं चल पाएंगे।
मुँह देखे के बोल बचा कर के रख लो।
और किसी के काम कभी आ जाएंगे।।
– कनपटियों के बीच जो सन से छाए हैं,
धवल केश अनुभव के पके-पकाए हैं।
धुंधलाई सी आंखें हैं पर जान रहीं,
परख रहीं हैं कुछ सब कुछ पहचान रहीं।
अब ठगे गए तो पागल ही कहलाएंगे।
मुँह देखे के बोल बचा कर के रख लो।
और किसी के काम कभी आ जाएंगे।।”
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)