आज होली इस तरह मिलकर मनायें
रँग दिलों पर प्रेम का ऐसा लगायें
और हो गहरा उसे जितना छुटायें
कुछ समय को भूल जाएं सब ग़मों को
आज होली इस तरह मिलकर मनायें
होलिका में हम जलादें सब बुराई
और नफ़रत दुश्मनी को दें विदाई
भूल शिकवे भाईचारा हम निभाएं
आज होली इस तरह मिलकर मनायें
ये अमीरी या गरीबी है पहेली
कट न सकती ज़िन्दगी देखो अकेली
प्यार से संसार हम अपना सजाएं
आज होली इस तरह मिलकर मनायें
ज़िन्दगी की दौड़ में हम खो गये हैं
दूर अपनों से बहुत हम हो गये हैं
अब मिलें तो हम बिछड़ फिर से न जायें
आज होली इस तरह मिलकर मनायें
कोई भी छोटा बड़ा होता न जग में
खून बहता एक सा ही सबकी रग में
हर किसी को मीत हम अपना बनाएं
आज होली इस तरह मिलकर मनायें
20-03-2021
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद