आज से दस साल बाद
आज से कुछ दस साल बाद
हम कुछ अलग से होंगे
अलग ही लोगों जैसे
मैं शायद रोज़ फ़ोन नहीं करूंगा
ना तुम्हारी ड्रेस के रंगों पे गौर करूँगा
हमारी छुट्टियां घर के काम में गुजरेगी
और कुछ छुट्टियां रिश्तेदारों के साथ में
मैं नहीं पूछूंगा कि दिन कैसा था
ना तुम मेरा रात के खाने पे इंतज़ार करोगी
मैं फ्रिज में रखा खाना फ़िर गरम करके
रसोई की मद्धम रोशनी में खा लिया करूँगा
पर दस सालों में भी एक बात नहीं बदलेगी
हर रात हम बाहों में बाहें डाले ही सो रहे होंगे
फिर लौट जाएंगे हमारे समय में
जो ऐसा ही था, और ऐसा ही रहेगा
–प्रतीक