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15 Mar 2022 · 1 min read

आज रहने दो…

मचलते हैं मेरे भी अरमां जब-जब,
मुझसे ही मेरी बात कहने को,
अहसास-ए-जिम्मेदारी तब-तब,
ये कहती है, कि आज रहने दो…

✍ – सुनील सुमन

Language: Hindi
2 Likes · 297 Views
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