आज रहने दो…
मचलते हैं मेरे भी अरमां जब-जब,
मुझसे ही मेरी बात कहने को,
अहसास-ए-जिम्मेदारी तब-तब,
ये कहती है, कि आज रहने दो…
✍ – सुनील सुमन
मचलते हैं मेरे भी अरमां जब-जब,
मुझसे ही मेरी बात कहने को,
अहसास-ए-जिम्मेदारी तब-तब,
ये कहती है, कि आज रहने दो…
✍ – सुनील सुमन