#ग़ज़ल-08
#ग़ज़ल
मीटर : 2122-2122-2122-212
आज यारो मुस्क़राके मैं चला तो क्या हुआ
कौन कहता है कभी मैं हाल पर रोया नहीं/1
आज जो हासिल हुआ यूँ ही नहीं मुझको मिला
रात कितनी हैं गुज़ारी नींद भर सोया नहीं/2
हौंसला कब ठोकरें पर तोड़ पाई हैं मेरा
हूँ गिरा जितना बढ़ा उतना कभी खोया नहीं/3
भीड़ से होकर ज़ुदा चलना सदा भाया मुझे
ग़म रखा क़दमों तले सिर पर कभी ढ़ोया नहीं/4
रेल से गुज़रे सभी पर दर्द पुल का कब सुना
मैल मन का चार अश्क़ों से कभी धोया नहीं/5
ताज़ पीछे राज कितने दफ़्न हैं ‘प्रीतम’ यहाँ
ताज़ देखें हैं सभी ने राज संजोया नहीं/6
–आर.एस.’प्रीतम’