आज मैंने
जो तुझे मुझे जोड़ता था
वो बंधन तोड़ दिया आज मैंने
मैं तेरी मंज़िल था ही नहीं कभी
ये बात मान ली आज मैंने
तुझसे दूर जाने से पहले
तेरे सारे आंसू पोंछ दिए मैंने
मैं तेरा रहगुज़र था ही नहीं कभी
तेरी माथे को चूमते हुए
अलविदा मन में रख चला
तेरी आंखें खुलने से पहले
मैं तेरी नज़रों से दूर निकल चला
मैं तेरी मोहब्बत था ही नहीं कभी
तेरा झूठ था, ज़िन्दगी था ही नहीं कभी
तू मेरा सच बन गया इस ज़िन्दगी में
फिर से ज़िन्दगी पा ली आज मैंने
–प्रतीक