आज मैंने पिताजी को बहुत करीब से देखा इतना करीब से कि उनके आं
आज मैंने पिताजी को बहुत करीब से देखा इतना करीब से कि उनके आंखों के नीचे के काले घेरे एकदम स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे थे !
मैं महसूस कर पा रहा था कि अब पिताजी के कोमल हाथ परिवर्तित हो रहे हैं झुर्रियों वाले हाथ में !
पिताजी की आंखो में अब इतनी रोशनी नहीं शेष कि अब वो देखकर महसूस कर सकें इस रंगीन दुनिया को !
पर इतना कुछ होने के बावजूद भी पिताजी कहते हैं, कि मैं ठीक हूं, बेटा… कभी तुम्हे किसी भी चीन की आवश्यकता हो तो वेफिक्र होकर कहना अभी तुम्हारा बाप जिन्दा है !
• हमारे जीवन में, पिताजी का होना उस वृक्ष की तरह होता है जिसकी शाखाएं कटने के बाद भी वह सहारा देने को सदैव तत्पर रहती हैं !!”