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22 Nov 2019 · 1 min read

आज मयखाने में रौनक आई है

आज मयखाने में रौनक आई हैं
शहर में बजी कहीं शहनाई है

आँखों में मय नशा छाया है जैसे
मय ही गम भूलाने की दवाई है

कसमें,वादे ,ईरादे सब हुए परस्त
दिल के टूटने की आवाज आई है

फूलों सा चेहरा था खिला खिला
रौनक ए बहारां गम में समाई है

हारा प्यार जिंदगी से आज फिर
दिलों के प्यार की हुई रूसवाई है

चाँदनी रात है,चाँद तो निकला है
चाँदनी रात में काली घटा छाई है

मौसम तो साफ है,निकली है धूप
आँखों से अश्रु की वर्षाबरसाई है

जमाना हँसता है, दिल रोते खूब
प्रीत की यही रीत चलती आई है

प्रेम का अंत विरह होता आया है
प्रेम बंधन की रश्म क्यों बनाई है

आज मयखाने में रौनक आई है
शहर में बजी कहीं शहनाई है

सुखविंद्र सिंह मनसीरत

Language: Hindi
221 Views
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