आज मन है बहुत उदास
आज दिल है बहुत उदास
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मेरा साजन नहीं पास
आज दिल है बहुत उदास
तम छाया है जीवन में
मेरा तनहा मन उदास
भौरों ने चूस लिया रस
बुझती नहीं तन की प्यास
मेघों ने चाँद छिपाया
हसीं मौसम हुआ उदास
निगाहें बहुत ही प्यासी
दिलबर की लगी तलाश
कभी वक्त हाथ न आया
नहीं काल किसी का दास
हाल हो बद से बदत्तर
पास रहता न हर्षोल्लास
मिलन मस्ती भरा नजारा
वियोग खो देता हवाश
मिलता खुशियों का अंबार
जब हो प्रेम का प्रकाश
छा जाए घना कोहरा
मनसीरत मन हो हताश
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)